दान-पुण्य के महापर्व मकर संक्रांति पर कुंभ में पधारे श्रद्धालुओं एवं दीन-दु:खीजनों को कराएं तिल-गुड़ से बना स्वादिष्ट भोजन
मकर संक्रांति

दान-पुण्य का महापर्व मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति में खास महत्व रखता है। इसे सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है, जो शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का सूचक है।

इस दिन तिल-गुड़ का दान करना न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है, बल्कि यह हमारे जीवन में मिठास और सकारात्मक ऊर्जा लेकर भी आता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराने से दानकर्ता को आत्मिक संतोष और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

संस्थानके सेवा कार्य

3,95,59,293
रोगियों को भोजन थाली वितरण की संख्या
4,45,002
दिव्यांगो के ऑपरेशन की संख्या
36,525
कृत्रिम अंग वितरण की संख्या
3,88,012
केलीपर से लाभान्वित की संख्या

अन्नदान महादान

मकर संक्रांति के दिन दान का फल कई गुना बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया एक छोटा सा दान भी व्यक्ति के कर्मों को शुद्ध करता है और उसे मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है। इस दिन तिल और गुड़ का दान या तिल और गुड़ से बने हुए स्वादिष्ट भोजन का दान दानदाता के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सौहार्द लाने वाला माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन दिया गया अन्नदान-महादान की श्रेणी में आता है। इसलिए सनातन परंपरा में इस पवित्र दिन पर दिया गया दान श्रेष्ठ माना गया है।

महाकुंभ में पधारे श्रद्धालुओं को कराएं भोजन

मकर संक्रांति के पुण्यदायी अवसर पर प्रयागराज में हो रहे दिव्य महाकुंभ में नारायण सेवा संस्थान संगम तट पर स्नान के लिए पधारे श्रद्धालुओं को तिल और गुड़ से बना मीठा, स्वादिष्ट भोजन कराने जा रहा है। 144 साल बाद लगने जा रहे इस महाकुंभ मेले में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर, आपश्री अपने परिवार की ओर से अन्नदान के इस सेवा प्रकल्प में सहभागी बनकर पुण्य प्राप्त करें।