रमा एकादशी पर दान देकर दीन-हीन, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराएं (वर्ष मेंं एक दिन)

रमा एकादशी

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सनातन परंपरा में एकादशी बेहद पवित्र दिन माना जाता है। यह दिन इस जगत के पालनहार भगवान नारायण की आराधना के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है और भगवान नारायण भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं। एकादशी लोगों की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट करती है और भक्तों को खुशहाल तथा सुखमय जीवन प्रदान करती है।

 

रमा एकादशी का महत्व

रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने तथा दीन-दु:खी, असहाय लोगों को दान देने से पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को रमा एकादशी के बारे में विस्तार से बताया था। पद्म पुराण के अनुसार, “जो भी व्यक्ति इस दिन सच्चे मन के साथ व्रत और उपवास रखता है तथा दान देता है, उसे बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है और वो जीवन की समस्त समस्याओं से मुक्त हो जाता है।”

 

दीन-दु:खी, दिव्यांग बच्चों को भोजन कराने हेतु सहयोग करें

सनातन धर्म के कई ग्रंथों और पुराणों में दान के महत्व का उल्लेख मिलता है। दान के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा गया है-

दानं त्याग: स्वार्थ वर्जित:, सेवा परमो धर्मः ।
जरुरतमंदस्य साहाय्ये, स्वर्गसओपानं आरोहति।।

अर्थात् दान और त्याग स्वार्थ से रहित होते हैं, और लोगों की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जब कोई व्यक्ति जरूरतमंद की सहायता करता है, तो वह स्वर्ग की सीढ़ियाँ चढ़ने लगता है।

 

रमा एकादशी के पुण्यकारी अवसर पर दान देकर दीन-हीन, असहाय दिव्यांग बच्चों को वर्ष में एक बार आजीवन भोजन कराने के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें।

रमा एकादशी

रमा एकादशी पर भूखे बच्चों को भोजन कराने में योगदान दें!

आपके द्वारा दिए गए दान से जरूरतमंद दिव्यांग बच्चों को भोजन कराया जाएगा


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